((((अभी-अभी))))
((((अभी-अभी))))
छोडो इंतज़ार क्या करना,
कौनसा रूठ के गया है.
अरे वो तो बेवफा आशिक़ था,
सब लूट के गया है।
अब क्या वो वक़्त को पकड़ें,
जो कभी छूट के गया है.
क्या उसकी सूरत निहारें,
जिसका चेहरा ही झूठ पे गया है।
क्यों उसकी शिकायतें सुने,
कौनसा हमसे पूछ के गया है.
क्या उसकी प्यास बुझायें,
जो हमारा ही खून चूस के गया है।
कैसे समझाएं उसका दर्द,
जो दिल अभी अभी टूट के गया है.
हमारा तो सनम ही बेईमान था,
अभी अभी तो हमको फूक के गया है।