अभिसप्त गधा
अभिशप्त गधा—–
सोमेश अति साधारण परिवार से सम्बंधित था माँ बाप कि बड़ी संतान दो छोटे भाई पिता और दोनों छोटे भाई राज मिस्त्री का काम करते थे जो सोमेश को बिल्कुल पसंद नही था ।
वह ग्रेजुएट था एव अति महत्वाकांक्षी भी दवा के होल सेल के दुकान पर कार्य करता लेकिन उसकी महत्वकांक्षा संतुष्ट नही थी।
सोमेश ने बीमा एजेंसी भी ले रखी थी और दुकान के सेल्समैन कि जिम्मेदारी से खाली होने के बाद वह बीमा की एजेंसी का काम करता पहले तो उसके पास मात्र सायकिल थी लेकिन बाद में उसने सेकेंड हैंड स्कूटर खरीद लिया।
कहते है कि लक्ष्मी सदा संयमित व्यक्ति कि सारथी होती है सोमेश कि आय बढ़ी तो उसके अनाप संताप खर्चे भी बढ़ने लगे लेकिन था वह मेहनती ।
अतः बहुत परेशानी नही होती ।शोमेश सुबह आठ बजे घर से निकलता और दस ग्यारह बजे रात को घर पहुंचता ।
एक दिन वह रात को दस बजे अपने किसी ग्राहक से मिल कर लौट ही रहा था सड़क सुन सान थी।
वैसे भी सुन सान सड़को पर ट्रैफिक नियमो का कोई पालन करता हो कम से कम भारत मे तो नही सम्भव है ।
भारत के अधिकांश शहरों में ट्रैफिक के सिग्नलों को आम जन भीड़ भाड़ में भी अनदेखा कर देते है यहाँ इसी बात में हर व्यक्ति अपने को होशियार समझता है कि वह भीड़ भाड़ में ट्रैफिक नियमो कि अनदेखी करके कैसे पहले निकल जाए चाहे ट्रैफिक पुलिस खड़ी हो या रेल क्रासिंग बन्द हो कोई फर्क नही पड़ता।
फर्क तब पड़ता है जब कोई अनहोनी घटना घट जाती है यही सोमेश के साथ हुआ रात के सुन सान सड़क पर वह ट्रैफिक नियमो कि अनदेखी करते विपरीत दिशा से निकल कर जल्दी से घर पहुँचना चाहत था तभी अचानक रास्ते मे खड़ा गधे से टकरा गया गधे ने बहुत तेज दुलत्ती मारी शोमेश स्कूटर समेत गिर पड़ा।
कहते है गधे की दुलत्ती बहुत खतरनाक होती है शोमेश के सर में बहुत गम्भीर छोटे आयी सड़क पर अचेत पड़ा शोमेश जीवन मृत्यु के बीच जंग लड़ रहा था और गधा वाही खड़ा एकटक शोमेश को निहार रहा था तभी उधर से गुजर रहे किसी अनजाने ने शोमेश को अचेत सड़क पर देखा वह नजदीक के पुलिस स्टेशन पर जाकर सूचित किया।
पुलिस ने औपचारिकता पूर्ण करने के बाद शोमेश को इलाज हेतु मेडिकल कालेज भेज दिया लाख उपाय के बाद भी शोमेश को नही बचाया जा सका शोमेश मरते मरते एक सबक दे गया सड़क व्यस्त हो या सुन सान ट्रैफिक नियमो का पालन करना ही चाहिये।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर उत्तर प्रदेश