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14 Jan 2019 · 1 min read

अभिशप्त शहर

मेरे गाँव के
चौपाल का वह
पीपल का पेड़
जिसके नीचे
होली पर फाग
गाई जाती थी
ईद पर सिमयीयो का
दौर चलता था
प्यार एकता का
प्रतीक था वह वृक्ष
दूर से पीपल के पेड़ को
देख कर मन परफुलित
हो जाता था

शहर फैलते गये
गाँव सिमटते गये
मेरे गाँव का
पीपल का पेड़
अब शहर के छोर पर
आ गया
एकदम सुनसान
अब वहां होते हैं
लूटपाट और मारपीट
मेरे गाँव का
प्यारा सा पेड़
अभिशप्त हो गया है
शहर के फैलने से

स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
197 Views
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