अभिव्यक्ति
?एक अभिव्यक्ति मेरी भी?
“अभिव्यक्त करना”कितना आसान है आजकल|अभिव्यक्ति का आधुनिक त्वरित मंच सोशल मीडिया आखिर आपकी हथेली में ही तो है बस कीबोर्ड पर आपकी उँगलियों की चंद थिरकनें और उड़ेल सकते हो आप मन के भीतर का सारा गुबार,सारा कीचड़ असंपादित ही(संपादित पंक्तियों में आज वह शक्ति कहाँ जो खबरें बना सके,बहस दर बहस आगे बढ़ा सके)
साथ ही इस देश में संविधान ने आपको अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी दे रखा है|ये बात और है कि सभी 19(1)का ही हवाला देते हैं कोई भी 19(2)की बात नहीं करता है
सही भी है जब काम की बात पहले ही मिल जाये तो दूसरी बात कौन जानना चाहे तभी ज्यादातर लोग संविधान 19-20अनुच्छेद तक ही पढ़ते हैं शायद 51(क)तक जाने की जहमत नहीं उठाते,अब चूंकि 4जी के जमाने में सब के हाथ में मीडिया है और संविधान प्रदत अौर सहज चयनित अभिव्यक्ति का अधिकार भी, तो बाढ़ सी आ गयी है मानव मन के भीतर भरे भाषायी कीचड़ की,पर दुखद यह है हमारा कीचड़ अच्छा और दूसरे का बुरा की प्रवृति ने बड़ी ही दुरूह स्थिति उत्पन्न कर दी है,समाज गुटों में बँट गया है यह अराजकता कैसे रुके संवेदनशील हृदय समझ नहीं पा रहे हैं|
अभिव्यक्ति का अधिकार,स्वतंत्रता का अधिकार,सूचना का अधिकार,शिक्षा का अधिकार अलाना अधिकार फलाना अधिकार ये वह सूची है जो आम जन को भी रटी होगी पर संविधान में कर्तव्यों का भी उल्लेख है यह बड़े बड़े बुद्धिजीवी भी भूल जाते हैं,जिसका शायद ही कभी राग अलापा जाता हो,जिस पर शायद ही कभी बहस या चर्चा होती हो|कभी कभी लगता है संविधान निर्माताओं ने बेवजह इतना श्रम व समय का अपव्यय किया क्योंकि आज देश में दो ही गुट रह गये जान पड़ते हैं पहला 19(1) का शब्दशः पालन करने वाले दूसरे 19(2)का हवाला देकर इसका विरोध करने वाले|बाकि सारा संविधान,बाकी सारी समस्याएँ अब राजनीति का विषय ही नहीं रही और पता नहीं क्यों यह आशंका बढ़ती ही जा रही है कि लोकतंत्र और संविधान के संरक्षण का कार्य जिस राजनीति पर था,वह संविधान और लोकतंत्र की कब्र पर ही अपने महल बनाने पर अमादा है लेकिन यह समझ कैसे बने कि लोकतंत्र में संविधान ही दीर्घ राजनीति की प्राणवायु है|ईश्वर करे जल्द ही ये बादल छँटे,देश के कर्णधार(नेता,युवा और समस्त संवेदनशील हृदय)अपनी भूमिका को समझें,संपूर्ण संविधान के सभी पक्षों का पालन सब ही जन करें और हमारे देश का कल्याण हो
✍हेमा तिवारी भट्ट✍