अभिव्यक्ति
“अभिव्यक्ति स्वतन्त्रता एवं वैचारिक सहिष्णुता”
अभिव्यक्ति की, स्वतंत्रता के, असल मायने होते हैं
विचारों को बिना किसी भय या दबाव के कह पाना
व्यक्ति, एवं उस की अभिव्यक्ति का, भेद जान पाना
किस व्यक्ति ने नहीं, क्या कहा गया है, ये सुन पाना
इसी तरह वैचारिक सहिष्णुता के सही मायने होते हैं
सभी विचारों का, अपने विवेक से सम्मान कर पाना
चरित्र, अतीत, परिवेश, गुणों अवगुणों से परे हट कर
व्यक्तिपरक नही विषयपरक वैचारिक अनुग्रह पाना
एवं यदि कहीं ये विचार आपके अंतर्मन को छू जाएं
तो व्यक्ति नही उन विचारों पर चिंतनमंथन कर पाना
~ नितिन जोधपुरी “छीण”