*अभिव्यक्ति (लघुकथा)*
अभिव्यक्ति (लघुकथा)
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सेठ जी ने पूरे पाँच हजार रुपये का ठेका अपनी कोठी की सजावट के लिए दिया था। वास्तव में बिजली के ठेकेदार ने इतनी सुंदर सजावट की कि कोठी जगमगा उठी ।सेठ जी कॉलोनी की अन्य कोठियों से अपनी तुलना करते हुए प्रसन्न – भाव से टहलते- टहलते गेट से कब बाहर निकल कर पड़ोस की टूटी- फूटी सड़क पर निकल पड़े ,उन्हें पता ही नहीं चला ।
थोड़ी दूर चलने पर देखा कि एक साधारण – से मकान में बच्चे और बड़े मिलकर आठ – सात मिट्टी के दिए जला रहे थे और खुश हो रहे थे । सेठ जी का चेहरा यह दृश्य देखकर मुरझा गया । वह दबे कदमों से अपनी कोठी की ओर पीछे लौट पड़े ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451