अभिव्यक्ति के ख़तरे उठाने ही होंगे!
हम यूरोप के रिनेसां और भारत के यंग बंगाल मुवमेंट से बहुत प्रभावित हैं। घृणा के प्रचारक, धर्म-विरोधी और देशद्रोही कहलाये जाने के सारे ख़तरों के बावजूद देश और समाज को जिंदा रखने के लिए हम अपनी धार्मिक परंपराओं,सामाजिक मान्यताओं और राजनीतिक संस्थाओं का पूरी बेरहमी से पोस्टमार्टम करते रहेंगे।