अभिव्यक्ति की आजादी
हम स्वछंद है स्वतंत्र है
गणतंत्र है मां भारती ।
कर्त्तव्य है अधिकार है
संविधान भी है राष्ट्र की ।
सवाल है जबाब है
अभिव्यक्ति भी है राष्ट्र की
लोकतंत्र है मंत्र है
श्रृंगार है यह राष्ट्र की ।
प्रजातंत्र अपनी जब-जब चीत्कार उठेगी ,
कलम चलेगी शब्दों की तलवार उठेगी ।
अनुच्छेद १९ की गाथा गुंजायमान उठेगी ,
लोकतंत्र को रक्षित अभिव्यक्ति करेगी ।
कहते हैं सब लोकतंत्र में बल है ,
क्या अधिकार बिना भी प्रजातंत्र में बल है ?
शासक के अंतर्मन में जब जन्म अहं लेता है ।
अभिव्यक्ति की आजादी उसे तुरंत मार देता है ।
✍️ समीर कुमार “कन्हैया”