अभिव्यक्ति की आज़ादी है कहां?
क्या समाज में जो जैसा है उसे वैसा ही रहने दिया जाए? अंधविश्वासों, पाखंडों, कर्मकांडों, रूढ़ियों और कट्टरताओं का विरोध न किया जाए? अगर मैं प्रकाश की बात करूंगा तो अंधकार की भावना तो आहत होगी ही। क्या देश में नवजागरण ले आने की मेरी कोशिश को ‘हेट स्पीच’ कह कर बैन कर दिया जाएगा? क्या आधुनिक, प्रगतिशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार करना कोई अपराध है? फेसबुक के द्वारा बार-बार मुझे चेतावनी भेजे जाने और मेरे अकाउंट को प्रतिबंधित किए जाने का क्या मतलब निकाला जाए? क्या इस दुनिया में सचमुच कहीं अभिव्यक्ति की आज़ादी है?
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