Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2024 · 1 min read

अभिलाषा

अभिलाषा

मात-पिता की अभिलाषाओं की,
सुंदर प्रतिमूर्ति बनूं।
परिजन में जितने रिश्ते हैं,
सब रिश्तो का सेतु बनूं।

जिस घर के आंगन में सुंदर,
होवे तुलसी का बिरवा।
और चिड़ियों की प्यास बुझाने,
भरा लटकता हो करवा।

मात-पिता शुचि संस्कार दें ,
और शिक्षा का दें वरदान।
ऐसे ही घर के आंगन का,
रघुवर मुझे मिले अवदान।

घर से निकल कार्य करना हो,
हो इसका अधिकार मुझे।
अपने सपनों में रंग भरने,
मिले प्रेरणा प्यार मुझे।

वर चुनने की बात अगर हो,
मेरा मत जाना जाए।
यदि होवे इनकार हमारा,
उसको भी माना जाए।

स्वस्थ, शिष्ट, नैतिक मूल्यों से,
हो परिपूर्ण मेरा भरतार।
निष्ठा और विश्वास भरा हो,
नित जीवन में बरसे प्यार।

निज कर्तव्यों के पालन में,
होवे मुझसे चूक नहीं।
कर्तव्यों और अधिकारों हित,
मुखर रहूं मैं मूक नहीं।

अपनी संस्कृति संस्कारों का,
दूं अगली पीढ़ी को ज्ञान।
नत होना ईश्वर के आगे,
कदम बढ़ा सीखें विज्ञान।

करुणा प्रेम दया ममता का,
मन से टूटे ना नाता।
परहित का भी ध्यान रहे,
बस इतना लिख देना धाता।

इंदु पाराशर

*******************

72 Views
Books from indu parashar
View all

You may also like these posts

जब-जब
जब-जब
Rambali Mishra
बाली उमर की शोखियाँ,
बाली उमर की शोखियाँ,
sushil sarna
सनातन की रक्षा
सनातन की रक्षा
Mahesh Ojha
चौराहे पर....!
चौराहे पर....!
VEDANTA PATEL
शब्दों की चाहत है हृदय में उनके,
शब्दों की चाहत है हृदय में उनके,
श्याम सांवरा
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जागो बहन जगा दे देश 🙏
जागो बहन जगा दे देश 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
-बहुत देर कर दी -
-बहुत देर कर दी -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
* चाह भीगने की *
* चाह भीगने की *
surenderpal vaidya
मफ़उलु फ़ाइलातुन मफ़उलु फ़ाइलातुन 221 2122 221 2122
मफ़उलु फ़ाइलातुन मफ़उलु फ़ाइलातुन 221 2122 221 2122
Neelam Sharma
विवश मन
विवश मन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
सुना है नींदे चुराते हैं वो ख्वाब में आकर।
सुना है नींदे चुराते हैं वो ख्वाब में आकर।
Phool gufran
जौन एलिया
जौन एलिया
Dr. Kishan tandon kranti
4397.*पूर्णिका*
4397.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Being an
Being an "understanding person" is the worst kind of thing.
पूर्वार्थ
शिक्षक जो न होते
शिक्षक जो न होते
Sudhir srivastava
शीत ऋतु
शीत ऋतु
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
■ बड़े काम की बात।।
■ बड़े काम की बात।।
*प्रणय*
ऐसा वर दो हे वीणावादिनी ©डॉ. अमित कुमार दवे, खड़गदा
ऐसा वर दो हे वीणावादिनी ©डॉ. अमित कुमार दवे, खड़गदा
अमित कुमार दवे
ऐसा नही था कि हम प्यारे नही थे
ऐसा नही था कि हम प्यारे नही थे
Dr Manju Saini
दूध का वैज्ञानिक विश्लेषण
दूध का वैज्ञानिक विश्लेषण
Anil Kumar Mishra
नयन
नयन
Deepesh Dwivedi
किया जाता नहीं रुसवा किसी को
किया जाता नहीं रुसवा किसी को
डॉ. दीपक बवेजा
आंखों की नदी
आंखों की नदी
Madhu Shah
वैज्ञानिक युग और धर्म का बोलबाला/ आनंद प्रवीण
वैज्ञानिक युग और धर्म का बोलबाला/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
देखा तुम्हें सामने
देखा तुम्हें सामने
Harminder Kaur
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
Dheerja Sharma
ये ज़िंदगी भी गरीबों को सताती है,
ये ज़िंदगी भी गरीबों को सताती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।
किसी को मारकर ठोकर ,उठे भी तो नहीं उठना।
मधुसूदन गौतम
कल के नायक आज बनेंगे
कल के नायक आज बनेंगे
Harinarayan Tanha
Loading...