Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2022 · 1 min read

अभिलाषा

नहीं चाहती सुरबाला सी
इठलाना तुमको ललचाना।
नहीं चाहती प्रेमी बनकर
देह तुम्हारा,पौरुष पाना।
वांछित बनना, उत्स तुम्हारा
बन आलोक तेरे पथ जलना।
मातृभूमि की गरिमा कहने
हे कवि,मरकर,पुन: जनमना।
——————–18/9/21 —————————

Language: Hindi
72 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वर्णिक छंद में तेवरी
वर्णिक छंद में तेवरी
कवि रमेशराज
मेरा हाथ
मेरा हाथ
Dr.Priya Soni Khare
चलते रहना ही जीवन है।
चलते रहना ही जीवन है।
संजय कुमार संजू
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
Rj Anand Prajapati
-- क्लेश तब और अब -
-- क्लेश तब और अब -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
बचपन
बचपन
नूरफातिमा खातून नूरी
"जिसे जो आएगा, वो ही करेगा।
*Author प्रणय प्रभात*
शबे- फित्ना
शबे- फित्ना
मनोज कुमार
ये नज़रें
ये नज़रें
Shyam Sundar Subramanian
सोच और हम
सोच और हम
Neeraj Agarwal
पिता
पिता
Shweta Soni
निगाहों में छुपा लेंगे तू चेहरा तो दिखा जाना ।
निगाहों में छुपा लेंगे तू चेहरा तो दिखा जाना ।
Phool gufran
23)”बसंत पंचमी दिवस”
23)”बसंत पंचमी दिवस”
Sapna Arora
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
భారత దేశ వీరుల్లారా
భారత దేశ వీరుల్లారా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
*दीवाली मनाएंगे*
*दीवाली मनाएंगे*
Seema gupta,Alwar
दर्द भी
दर्द भी
Dr fauzia Naseem shad
🍂🍂🍂🍂*अपना गुरुकुल*🍂🍂🍂🍂
🍂🍂🍂🍂*अपना गुरुकुल*🍂🍂🍂🍂
Dr. Vaishali Verma
एस. पी.
एस. पी.
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कलरव में कोलाहल क्यों है?
कलरव में कोलाहल क्यों है?
Suryakant Dwivedi
अगर आपको अपने कार्यों में विरोध मिल रहा
अगर आपको अपने कार्यों में विरोध मिल रहा
Prof Neelam Sangwan
दिखा तू अपना जलवा
दिखा तू अपना जलवा
gurudeenverma198
कल कई मित्रों ने बताया कि कल चंद्रयान के समाचार से आंखों से
कल कई मित्रों ने बताया कि कल चंद्रयान के समाचार से आंखों से
Sanjay ' शून्य'
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
*निर्धनता सबसे बड़ा, जग में है अभिशाप( कुंडलिया )*
*निर्धनता सबसे बड़ा, जग में है अभिशाप( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
आदि शंकराचार्य
आदि शंकराचार्य
Shekhar Chandra Mitra
दोहा
दोहा
sushil sarna
आप वही बोले जो आप बोलना चाहते है, क्योंकि लोग वही सुनेंगे जो
आप वही बोले जो आप बोलना चाहते है, क्योंकि लोग वही सुनेंगे जो
Ravikesh Jha
हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें
हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मौज में आकर तू देता,
मौज में आकर तू देता,
Satish Srijan
Loading...