अभिलाषा
बीच सड़क पर
खड़ा आदमी
भकुआया सा
दौड़ रही है गाड़ी देखो
इधर-उधर से
उधर-इधर से
उधर-उधर से
इधर-इधर से
पार करूँ या रुक जाऊँ
या फिर
वापस मुड़ जाऊँ
पी-पी,पें-पें
पें-पें, पी-पी
कोई इधर सटा
कोई उधर सटा
कोई उधर सटा
कोई इधर सटा
कोई इधर इधर से सटा सटा
कोई उधर उधर से सटा सटा
हुआ भ्रमित मन
करूँ हाय क्या
यूँ रुक जाना
मर जाना है
मुड़ जाना
घुंट रह जाना है
आओ तो फिर पार करें हम
जीवन का श्रृंगार करें हम
छोड़ो पी-पी
छोड़ो पें-पें
हम सब अपना रस्ता देखें
सड़क पार हों
सुख पाएँ
आनंदित हों
अभिलाषाएँ!
-अनिल मिश्र