अभियान गीत साक्षरता
आंधी या कोई तूफान चले मंजिल तक बढ़ते जाना है।
भारत के घर-घर में हमको अब शिक्षा दीप जलाना है।
संकल्प आज यह हमारा है कहते हैं सब सौगंध खाकर।
अनपढ़ ना रहने देंगे कोई ,भारत को बनाना है साक्षर।
सागर या कोई तूफान ओके हमें यह अभियान चलाना है ।
भारत के घर-घर में हमको अब शिक्षा दीप जलाना है।
दृढ़ निश्चय करते हैं मन में सारे मजदूरों के सपनों को।
सेठों की तिजोरी में बंधक सारे कृषकों के सपनों को।
उनका हक उन्हें दिलवाना है
भारत के घर-घर में हमको अब शिक्षा दीप जलाना है।
वह चारदिवारी में बैठी भारत की अबला नारी को।
पर्दे में बैठी दुल्हन को अधिकारों की अधिकारी को।
पढ़ना लिखना सिखा उन्हें रेखा दफ्तर में बैठाना है भारत के घर-घर में हमको अब शिक्षा दीप जलाना है।