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14 May 2024 · 1 min read

अभिमान

माना वो धनवान बहुत है,
पर उनको अभिमान बहुत है।

गया आसमा पर है जब से ,
रिश्तों से अनजान बहुत है ।

अश्क़ छुपाये है आँखों में
होठों पर मुस्कान बहुत है ।

साथ नही जाएगा कुछ भी,
दो गज़ का श्मशान बहुत है

कोई नही उसका है अपना
कहता है पहचान बहुत है।

मुर्दों पर से खाल हटाता,
क्या बोलें हैवान बहुत है।

देने को मुख मोड़ चले वो ,
पाने का अरमान बहुत है।

अगले पल का नहीं भरोसा,
लेकिन झूठी शान बहुत है

नयन सुखों की खातिर संसार में ,
अपना तो ईमान ही बहुत है।

अनिल “आदर्श”
*************************

Language: Hindi
18 Views
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