अभिमान
कुशल-क्षेम जाने बिना मन को पढना वो भूल गया।
अपनो को नीचा दिखा कर अभिमान से वो फूल गया।
कलयूग का ये मानव कैसा हर पल बदलता जाये,
स्वयं की रची व्यूह रचना में स्वयं वो झूल गया!
अभिषेक शर्मा
कुशल-क्षेम जाने बिना मन को पढना वो भूल गया।
अपनो को नीचा दिखा कर अभिमान से वो फूल गया।
कलयूग का ये मानव कैसा हर पल बदलता जाये,
स्वयं की रची व्यूह रचना में स्वयं वो झूल गया!
अभिषेक शर्मा