अभिनन्दन कैसे लिखे
अभिनन्दन कैसे लिखे
लिख डालो आभार पत्र भी, इसमें भी क्या मुश्किल है?
मेरे पीछे काम हजारों, दुनियाभर की किलकिल है।।
नम्र निवेदन लिख देना और, करना विनय प्रणाम है।
साथ साथ में कहते जाना, राम राम अविराम है।।
बस इतनी सी बातें है तो, चकराना किस बात पर।
भूल चूक की माफी मांगो, चार बार बोलो सर सर।।
अच्छी अच्छी बातों को कर, मनमोहन बन जाओ फिर।
बार बार तुम एक चीज को, बोलो खाओ खाओ फिर।।
फूल झरे बातों से इतना, स्वागत बातों से करना।
शब्द पूजारी बनकर उनको, शब्दो से ही जय कहना।।
वो जो भी बोले तुमको तो, तुम केवल हां ही कहना।
ना से नाराजी हो सकती, सम्भव कोप पड़े सहना।।
मन्त्र सफलता का हाँ में है, मानों मेरी भाई जी।
ना से पाना हो सकता है, जीवन भर की खाई जी।।
जैसे चमचाई चाकर जो, करते अपने अफसर की।
भाव भरो आभार पत्र में, बस भूमिका आखर की।।
अपने मुख से अभिनन्दन का, बार बार उच्चारण हो।
होना ऐसी उन्हें प्रतीति, वो राजा तुम चारण हो।।
नतमस्तक ऐसे हो जाना, ज्यूँ वो ही भगवान है।
ज्ञानवान कहकर के उनको, खुद बनना नादान है।।
आदर सादर सादर आदर, लिखना दुर्लभ काम नहीं।
लिखे बिना शब्दों की माला, मिल सकता आराम नहीं।।