अभिनन्दन. का. अभिनन्दन
शूरवीर हो तुम सैनिको,यह तुमने हर बार दिखलाया था,
अभी आतंकियों के घर में घुसकर,तुमने उन्हेें ढहाया था,
फिर भी कर गया हिमाकत,दुश्मन, प्रतिशोध दिखाने आया था,
खदेड दिया,अन्य साथियों ने उनको,तुमने तो मार ही गिराया था,
हां,स्वयं भी आ गए खतरे में तुम,जब मिग तुम्हारा डगमगाया था,
तब पैरासूट का लेकर सहारा,स्वयं को तुमने बचाया था,
किन्तु सजोंग भी ऐसा बना,खतरा नहीं टल पाया था,
पहुँच गए दुश्मन की शरहद पर,देख तुम्हे दुश्मन इतराया था,
लगे करने वह बदसलूकी,तुमने स्वयं को सम्भाल लिया ,
खूद से पहले देश बडा है,यह भी तुमने जतला दिया ,
अपनी पहचान को बतलाया भी,पर दस्तावेजों को चबा लिया,
शेष बच गए जो बाकी,उनको पानी में समा दिया ,
कष्ट जो तुमने तब सहा है,यह जतलाना ना काफी है,
किन्तु कुछ ही पलों मेंकरके ऐसा,देशको दिवाना अपना बना लिया है,
सारा देश तुम्हारी रिहाई को,अब मनौती मना रहा है,
हो सकुशल वापसी तुम्हारी,ईश्वर से है यह प्रार्थना हमारी,
और इसकी घोषणा जैसे हुई,तो देश जश्न मना रहा था,
अब प्रतिश्ना है तुम्हारे आने की,देश टकटकी लगाए निहार रहा था,
लौट आए हो तुम अभिनंदन,देश कर रहा है तुम्हारा अभिनंदन ।