अभिनंदन
उनको मेरा अभिनंदन ।।
दिया जिन्होंने अस्थि काट कर,
मानवता हित अंग छाँट कर
धड़कन में थी प्यार की बोली, वतन पे जिनका जीवन अर्पण ।
उनको मेरा अभिनंदन ।
मरते दम तक मूल्य चुकाई,
आजादी शोला सुलगाई,
घासों की रोटी से जिसने, तौल दिया मुगले सिंहासन ।
उनको मेरा अभिनंदन ।।
जान हथेली लिए जवानी ,
माँग रही अपनी कुर्बानी,
दे दो प्यारे वतन को पहना चाहे हमें कफन ।
उनको मेरा अभिनंदन ।।
अहिंसा की तान सुनाई ,
जिसने तीन गोलियाँ खाई,
राजतिलक दी अपने लहू से उस भारत नंदन को वंदन
उनको मेरा अभिनंदन ।।