#अब_यादों_में
#अब_यादों_में…
■ डॉ. राहत इंदौरी और में : नुमाइंदा शेरों के साथ
【प्रणय प्रभात】
“समन्दरों में मुआफ़िक हवा चलाता है।
जहाज़ ख़ुद नहीं चलते ख़ुदा चलाता है।।
हम अपने बूढ़े चराग़ों पे ख़ूब इतराए।
और उसको भूल गए जो हवा चलाता है।।”
#डॉ_राहत_इंदौरी
“पढ़े या ना पढ़े कोई मगर जज़्बात लिखते हैं।
सबक़ लम्हों से लेते हैं तो सच हर बात लिखते हैं।।
उबल कर के लहू जब अश्क़ में तब्दील होता है।
घटा के आँचलों पे दिलजले बरसात लिखते हैं।।”
#प्रणय_प्रभात