अब हमको भी लगने लगा कि आए इश्क के बाज़ार में हैं
वो नहीं जानते, कि क्यूँ वो हमारे इंतज़ार में हैं,
छा गया है हमारा सुरूर, वो अब इसी खुमार में हैं।
हाँ ऐसा अभी तो नहीं कि उनका जवाब इकरार में है,
पर बेशक अब वो हमारे ख्यालों के इख़्तियार में हैं।
हम तो कबसे सर झुकाए खड़े उनके दरबार में हैं,
हमारी दुआ होगी क़ुबूल बस इसी ऐतबार में हैं।
हम तो जाने कबसे बस इसी इंतज़ार-ए-इज़हार में हैं,
वो शरमाकर करें क़ुबूल, कि वो भी हमारे प्यार में हैं।
करते जा रहे हैं वार पर वार, सभी इशारे इनकार में हैं,
न जाने कितनी ही धार उनके नैनों के औज़ार में है।
नजरें उन्होंने यूँ झुकायीं, कि फूल खिले बहार में हैं,
मुस्कान-ए-इज़हार से उन्होंने गुल महकाए गुलज़ार में हैं।
अब हमको भी लगने लगा कि आए इश्क के बाज़ार में हैं,
कि तिजारत करने को दौलत-ए-इश्क पास अब बेशुमार में है।
————शैंकी भाटिया
अक्टूबर 12, 2016