अब शुरू की है मुहब्बत की कवायद हमने
अब शुरू की है मुहब्बत की कवायद हमने !
इससे पहले न बनाया था ये मकसद हमने !!
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जब भी पूछा है किसी से यही कहते पाया
इश्क़ में कोई ख़ुशी की न बरामद हमने !
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कैसे इकरार करूँ आज सनम जिद थी मेरी
प्यार में खुद ही करी तय थी कोई हद हमने !
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मुझ पे बेकार ही इल्जाम लगाते हमदम
जीस्त में की है रकीबों की खुशामद हमने !
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जब हसीनों ने चुराई जो नज़र हमको लगा
देर कर दी है बडी इश्क मे शायद हमने !
रमेश शर्मा