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29 May 2024 · 1 min read

अब वो रूमानी दिन रात कहाँ

अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ,
मुलाकातों में धड़कते हालात कहाँ।
☘️☘️
तबस्सुम उनका गुलशन सा होता था,
अब उनकी बातों में वो जज़्बात कहाँ।
☘️☘️
गुफ़्तगू हो जाती है उनसे कभी-कभी,
लेकिन अब वो उम्दा ख़यालात कहाँ।
☘️☘️
उजालों अंधेरों में फ़र्क होता न था,
अब वो हसीं रूमानी दिन रात कहाँ।
☘️☘️
मिलना आज भी होता है अक़्सर,
लेकिन वो रूहानी मुलाकात कहाँ।

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