अब वो बात कहा रही….!
अब रिश्तों में वो बात कहा रही ।
हर शाम सरहाने आकर कहानी सुनाकर सुलाए.. वो दादी कहा गयी।
पापा की डाट पर माँ का आँचल अब कहा नसीब होता है । बड़ी बहन से झगड़े का सिलसिला अब कहा शुरू होता है ।
चुटकी के नखरे अब क्यों दिखाई नही देते है।
अब उस छोटी छोटी ज़िद के आँसू अब क्यों नही बहते है
इस भाग दौड़ की जिंदगी में हम कितनी जल्दी बड़े हो गए ।
वक़्त का मंज़र इतना के से बदल गया ।
पुरानी यादों ओर बातो में आज फिर मेरा दिल सहम गया ।