*अब लिखो वह गीतिका जो, प्यार का उपहार हो (हिंदी गजल)*
अब लिखो वह गीतिका जो, प्यार का उपहार हो (हिंदी गजल)
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( 1 )
अब लिखो वह गीतिका जो, प्यार का उपहार हो
विश्व में हर आदमी को ,आदमी से प्यार हो
( 2 )
काश ! बढ़ जाए मनुज की,इस तरह आत्मीयता
संसार में संबंध का, नेह ही आधार हो
( 3 )
चाहते सद्भावना हम, जिस तरह अपने लिए
ठीक वैसा ही हमारा, अन्य से व्यवहार हो
( 4 )
माँज देना मन – कलुष को, इस तरह से देवता
लेश – मात्र न भीतरी फिर, शेष एक विकार हो
( 5 )
जेब खाली हो भले ही , देवता आशीष दो
जब सफर हो आखिरी,मुझ पर न शेष उधार हो
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रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451