अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
मतलब निकलते ही कौन किसे याद करता है
वजहें ढूंढ़ते हैं सब फिर तोहमत लगाने की
दूरियां बढ़ गई तो कोई किसी की नहीं सुनता है।
जिम्मेदारीयां निभा रहे सब अब साथ रहकर
बेजान-सी भावनाओं की, फ़िक्र कोई नहीं करता है।
राहें आसान है छोड़कर चले जाने की इनको
आबरू बचाने को अपनी,इनका बोझ ढोता है।