Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jan 2022 · 1 min read

अब ये तहज़ीब की पाखंडी सहि नही जाती

अब ये तहज़ीब की पाखंडी सहि नही जाती
जितनी भी दिलकश हो महबूबा घमंडी सहि नही जाती

एक वक्त ऐसा भी तो आता है मुहब्बत में
आती हुई गर्मी और जाती हुई ठंडी सहि नही जाती

बहुत यकीन बाकी है सरकार पर अब भी मेरा
मगर आखिरकार अब तो ये मंदी सहि नही जाती

जरा सा झुकने से टूटने का डर बना रहता हो
बेकार है ऐसी बुलंदी सहि नही जाती

आजाद करो परिंदे को तुम अपनी कैद से
मुहब्बत में तनहा नजरबंदी सहि नही जाती

212 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Harinarayan Tanha
View all
You may also like:
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
ग़ज़ल(गुलाबों से तितली करे प्यार छत पर —)————————–
डॉक्टर रागिनी
विषय – मौन
विषय – मौन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जो कायर अपनी गली में दुम हिलाने को राज़ी नहीं, वो खुले मैदान
जो कायर अपनी गली में दुम हिलाने को राज़ी नहीं, वो खुले मैदान
*प्रणय*
बांग्लादेश हिंसा पर ...
बांग्लादेश हिंसा पर ...
SURYA PRAKASH SHARMA
हमेशा दोस्त ही हैं जो हमारे साथ चलते हैं
हमेशा दोस्त ही हैं जो हमारे साथ चलते हैं
Dr Archana Gupta
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
डॉ.सीमा अग्रवाल
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
" आजकल "
Dr. Kishan tandon kranti
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
कवि रमेशराज
मकरंद
मकरंद
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मैंने एक चांद को देखा
मैंने एक चांद को देखा
नेताम आर सी
4041.💐 *पूर्णिका* 💐
4041.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
Dr. Narendra Valmiki
* संसार में *
* संसार में *
surenderpal vaidya
भोग कामना - अंतहीन एषणा
भोग कामना - अंतहीन एषणा
Atul "Krishn"
कुछ तो रम्ज़ है तेरी यादें ज़ेहन से नहीं जाती,
कुछ तो रम्ज़ है तेरी यादें ज़ेहन से नहीं जाती,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक पल हॅंसता हुआ आता है
एक पल हॅंसता हुआ आता है
Ajit Kumar "Karn"
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
जो लोग धन धान्य से संपन्न सामाजिक स्तर पर बड़े होते है अक्सर
Rj Anand Prajapati
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
शेखर सिंह
वेला
वेला
Sangeeta Beniwal
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
आप लाख प्रयास कर लें। अपने प्रति किसी के ह्रदय में बलात् प्र
इशरत हिदायत ख़ान
बेवजह कभी कुछ  नहीं होता,
बेवजह कभी कुछ नहीं होता,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
सब अनहद है
सब अनहद है
Satish Srijan
ଆମ ଘରର ଅଗଣା
ଆମ ଘରର ଅଗଣା
Bidyadhar Mantry
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*मुझे गाँव की मिट्टी,याद आ रही है*
*मुझे गाँव की मिट्टी,याद आ रही है*
sudhir kumar
!!कोई थी!!
!!कोई थी!!
जय लगन कुमार हैप्पी
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
sushil sarna
कुछ रिश्तो में हम केवल ..जरूरत होते हैं जरूरी नहीं..! अपनी अ
कुछ रिश्तो में हम केवल ..जरूरत होते हैं जरूरी नहीं..! अपनी अ
पूर्वार्थ
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
Shweta Soni
Loading...