अब याद आते है,पुराने दिन होली के –आर के रस्तोगी
अब तो याद आते है,पुराने दिन होली के |
जब गाते थे सब मिलकर गीत होली के ||
इकठ्ठी करते थे लकड़ी दो महीने पहले होली के |
बनाते थे चाँद-सितारे गोबर के दो हफ्ते पहले होली के ||
होली अब होली कहाँ रह गयी,गुंडा-गर्दी हो गयी |
होली तो अब तो समाज में नाम के लिये हो गयी ||
मिलते थे गले होली में,अब तो ये गले काटनी हो गयी |
अब तो रंग गुलाल और पानी में भी मिलावट हो गयी ||
न रहा अब जोश उल्लास,अब तो होली फीकी हो गयी |
कैसे मनाये अब होली,लकडिया भी अब महंगी हो गयी ||
अब तो याद आते है,पुराने मित्र टोली के |
अब तो याद आते है,पुरने दिन होली के ||
आर के रस्तोगी
मो 9971006425