अब मुस्कुराना आ गया
कुछ गए कुछ आ गए यूँ जिन्दगी चलती रही
उगती रहीं दिनकर की किरने साँझ भी ढलती रहीं
किन्तु आशायें हमेशा आँख में पलती रहीं
इस तरह पतझड़ में फूलों को खिलाना आ गया
ले हमें भी जिंदगी अब मुस्कुराना आ गया
फौलाद सीने में गमों ने हौसले का भर दिया
ठोकरों ने कुछ कदम औरों से आगे कर दिया
काँप उठे दुश्मन हमारे जब झुका ये सर दिया
तोड़कर खुद को हमें रिश्ते निभाना आ गया
ले हमें भी जिंदगी अब मुस्कुराना आ गया
थे अजीज अपने बहुत लेकिन वफा न कर सके
चाहा बहुत उनसे मगर खुद को खफा न कर सके
नुकसान से बचते रहे फिर भी नफा न कर सके
टूटे हुए ख़्वाबों को लेकिन फिर सजाना आ गया
ले हमें भी जिंदगी अब मुस्कुराना आ गया
खो दिया सब कुछ तुम्हें पाने से पहले
भूख से इक जंग है खाने से पहले
क्यों मरूँ मैं मौत के आने से पहले
अब हमें भी जान की बाजी लगाना आ गया
ले हमें भी जिंदगी अब मुस्कुराना आ गया