अब मुझसे छूट जाएगा क्या सच में रिश्ता टूट जाएगा…
अब मुझसे छूट जाएगा
क्या सच में रिश्ता टूट जाएगा
आंखो में आंसू होगा
दर्द भी धासू होगा
उसके साथ कल न होगा
पहले जैसा पल न होगा
सब कराई ,मंजिल निरस्त है
खुद से ,खुद की हुई सिकस्त है
अब किस मुंह से कहे सब मस्त है
बस दूरी ही तो अपने समस्त है
कहा होती अब बात है
तन्हाई ,याद
बस हर रात है
आशिको की यही जात है
खुद रुके,
कोई रोके क्या बिसात है।
खुद के भी सपने हज़ार है
उसे छोड़ दू
सोचा कई बार हूं
मैं ही सबसे महान हूं
मैं नहीं लाचार हूं,
मैं ही दुनिया का सार हूं
क्यों कहता झुठ हर बार हु
जब मैं सबसे लाचार हु
(अवनीश कुमार)