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4 Sep 2021 · 1 min read

अब मान भी जा

आदत सी हो गई है अब तो मुझे
तेरा हंसता चेहरा देखने की हमेशा
यूं मायूस तुमको देखा नहीं जाता
अब मुस्कुराकर मेरे सामने तो आ

क्यों रूठा है तू अब मान भी जा
मेरी हालत पर थोड़ा रहम तो खा ।।

मुरझा गए है गुल भी गुलशन में
भंवरे भी कहीं खो गए है शायद
लौटा दे अब फूलों की खुशबू
मेरे सूखे गुलशन को फिर महका

क्यों रूठा है तू अब मान भी जा
मेरी हालत पर थोड़ा रहम तो खा ।।

माना की रूठना मनाना है ज़िंदगी का हिस्सा
लेकिन छोटी सी है जिंदगी ज़्यादा नहीं रूठना
माना कि, तुम्हें मनाना नहीं आता है मुझे
हमारे प्यार की खातिर तू अब मान भी जा

क्यों रूठा है तू अब मान भी जा
मेरी हालत पर थोड़ा रहम तो खा ।।

हूं मैं प्यार तेरा, तो थोड़ा प्यार भी दिखा
गुस्सा बहुत हो गया अब कर इसे विदा
इन्तज़ार में है ये दिल, तेरे मिलने के फिर
अब तू इसको और ज़्यादा मत सता

क्यों रूठा है तू अब मान भी जा
मेरी हालत पर थोड़ा रहम तो खा ।।

जो ऐसे तू रूठा रहा मुझसे अब भी
मेरी ज़िंदगी मुझसे न रूठ जाए कहीं
जो मुझे खोना नहीं चाहता तू भी अगर
छोड़ गुस्सा अब मिलने तू मुझको आ

क्यों रूठा है तू अब मान भी जा
मेरी हालत पर थोड़ा रहम तो खा ।।

Language: Hindi
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