अब मत पूछो
अब मत पूछो
आसमान से अब मत पूछो,
धरती की क्या-क्या पीड़ा है,
उसे पर्वत तो नहीं, दिखता है
दिखता है तिनके से छोटा हीरा।
धरती से अब मत पूछो,
आसमान की क्या-क्या पीड़ा है,
उसे तो बादलों का स्वर्ग दिखा
जानता नहीं कितनी उसमें लीला है।
बिंदेश कुमार झा