अब भरोसा हो रहा है इस नयी सरकार पर (समसामयिक ग़ज़ल)
गूँजती संसद में जो उस शेर की ललकार पर ।
अब भरोसा हो रहा है इस नयी सरकार पर ।।
तीर तरकश से निकल जो चढ़ गया है धनुष पर,
आर को ये भेदकर फिर जाएगा यह पार पर ।।
आर्थिक मंदी सुधर जाएगी तुम रक्खो यकीं,
दृष्टि केवल रखना होगी वक्त की दरकार पर ।।
जम्मू तो अपना हुआ कश्मीर भी लद्दाख भी,
बाकी टुकड़े को भी लेंगे धार पर तलवार पर ।।
सेक्युलर पहले से हैं हम और रहेंगे उम्र भर,
दस्तख़त लेकिन न होंगे दुश्मनी इक़रार पर ।।
— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।