अब बीमार होता हूँ ,तो डर लगता हैं
अब बीमार होता हूँ ,तो डर लगता हैं
हां ,मुझे डर लगता है।
किसी जमाने में ऊपर वाले का फरिश्ता कहलाने वाले ,सभी को दूसरी जिंदगी देने वाले, वह महान सफेद वस्त्रों में विराजमान डॉक्टर आखिर कहां चले गए ।
लोभ ,पैसे की कामना ,लालच और अधिक से अधिक पैसे कमाने की चाहत में इन फरिश्तों को कहां छुपा दिया ।
किस अंधेरी दीवार के पीछे छुपे है आखिर कार ये ,
और यह बातें सिर्फ बातें ही नहीं है ,यह तथ्य साबित किए जा चुके हैं ।
कितने अखबारों में ,कितने ही समाचारों में ,कितने ही आस-पड़ोस की बातों में जो विश्वसनीय और विश्वास योग्य है ।
कुछ समय की बात है एक मेरा मित्र गांव से कॉन्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी करने मेरे शहर आया हुआ था ।दो एक दिन से उसको पेट में बहुत दर्द हो रहा था, वे शहर के नामचीन अस्पताल में गया ट्रीटमेंट करवाया रिपोर्ट आई तो पता चला उसके पेट में अपेंडिक्स की बीमारी है , वह घबरा गया उसने रिपोर्ट मुझे दिखाइए में चौक गया ।
क्या अपेंडिक्स ?
अपेंडिक्स में तो इंसान का चलना, उठना, बैठना सब कुछ दुश्वार हो जाता है ।
हमने किसी और के पास एक्स-रे करवाया और जाँच कराई और इसमें कोई अपेंडिक्स की बीमारी नहीं थी । बस बदहजमी की वजह से उसका पेट खराब था, उन्होंने कुछ गोलियां लिखकर दें दी,
वह अगले दिन वे ठीक होगा हो गया यदि वह सलाह विमर्श करने हम दो-चार लोगो पास नहीं आता तो आज इसका अपेंडिक्स का ऑपरेशन हो चुका होता ,और अच्छा खासा मोटा बिल चुकाने के कर्ज में पड़ा रहता या फिर और बुरा ।
अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बहाने उसकी एक किडनी निकाल लेते ।
वैसे भी किडनी निकालने के कितनी ही केस आए हैं,
जो कि आप जानते हैं कोरेना काल में कितने ही
मासूम गरीब, वह लाचार जो कोरोना व अन्य बीमारियां बता कर किडनी निकाली, किडनी निकाल कर बेच दी, कितनों को मार डाला,
खैर, लालच का काला चोगा पहने सफेद वस्त्र धारी इन जल्लादों को किस नर्क में जलाने की सजा देगा ईश्वर, जो यह पाप करने में जरा भी नहीं घबराते ।
जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो कैसा लगता है ,यह इसका सीधा-सीधा उदाहरण है ।
व्यक्ति मर जाता है किंतु उसके पीछे जो परिवार छूट गया, उसका क्या वह बालक का क्या जिसको अब पढ़ाई छोड़ कर बाप की जगह काम पर जाना पड़ेगा,
उस लड़की का क्या जिसके पिता की मौत के बाद उसकी शादी टूट गई,
उस अभागन पत्नी का क्या कसूर जो पूरी उम्र वही सफेद साड़ी पहनेगी, जिसके पति के हत्यारों ने सफेद कोट पेंट पहना है, और इस बात से व अनजान है, और अभी भी अपने किसी प्रिय बालक बालिका माता वह किसी की भी तबीयत खराब होने पर दोबारा उस जल्लाद के पास ले जाने की कामना रखेगी।
क्यों, किसको पता नहीं के आज के यह दोबारा जान लौट आने वाले फरिश्ते अब फरिश्ते नहीं जल्लाद बन चुके हैं ,वह पढ़ लिख कर अपनी आत्मा को बेच, कर अपने हाथों से जानबूझकर, सोच समझकर यह पाप बड़ी अदाकारी से करते हैं ,
वह अच्छा खासा ढोंग रचते हैं,
और गरीब को धोखा देते हैं और हमारी विडंबना यह है कि हम इस पर आवाज भी नहीं उठा सकते ।
किसी और की बात छोड़िए जो मित्र का मैंने किस्सा सुनाया था।
मैंने उससे कहा दोनों रिपोर्टों को कोर्ट में पेश करते हैं वह इनकी कंप्लेन करते हैं। मेरे दोस्त के कदम पीछे हो गए
यह बोला जाने दो भाई अपन बच गए वही बहुत है, वैसे भी अपन इन सब चीजों से दूर ही रहते हैं,
सब को सब पता है ।
सब चीजों का ज्ञान है ,पर कोई आवाज नहीं उठाता ,हम वह मुर्गे बन चुके हैं, जो दूसरे मुर्गे को कटता हुआ देखकर हम भी कुछ नहीं बोलते और पिंजरे में चुपचाप कैद रहते हैं।
वे अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं और जब अपना समय आता है तब यह चीजें महसूस करते हैं, और फिर कामना करते हैं कि कोई हमारी मदद करें ।
जबकि हम मदद करने वाले बन सकते हैं फिर भी हम मदद लेने वाले बनने की सोच रखते हैं,
यह लेख कुछ शब्द है अगर आप अपनी निजी जिंदगी से समझे तो यह शब्द आपकी सोच में आपके मन में आपकी जिंदगी में एक करवट ला सकता है ।
ये विचार सत्य की जो एक हृदय से ध्वनि उत्पन्न करेगा ,कि कल के लिए हमें आज कुछ ना कुछ तो करना होगा जो अखबारों में आज दूसरों के लिए लिखा आ रहा है कल वह चीज हमारे साथ ना हो, इसलिए एक कदम तो मुझे भी बढ़ाना होगा और आप भरोसा रखिए आज नहीं तो कल आप यह कदम उठाएंगे आपकी मर्जी हो तो आज उठा लीजिए, वरना वक़्त तो कभी ना कभी आपका मन हो या ना हो वह परिस्थितियां ला देगा जो यह कदम उठाने पर आपको मजबूर कर देगी बस यही मैं अपनी कलम को विराम देता हूं शुक्रिया धन्यवाद आपका आभार मुझे पढ़ने वे समझने के लिए और इसलिए भी कि मेरा लेख पढ़कर आप कुछ समय इस विषय पर सोचेंगे, धन्यवाद
हर्ष मालवीय
बीकॉम कंप्यूटर अंतिम वर्ष छात्र
शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय
बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी
भोपाल