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26 Sep 2024 · 1 min read

अब फिक्रमंद नहीं हूँ मैं

अब फिक्रमंद नहीं हूँ मैं
न किसी अंजाम की ख्वाहिश बाकी है
जी रहा हूँ मैं
क्योंकि शेष है जीवन
दूर है मोक्ष
सांसों का बाकी है सफ़र!!!!

हिमांशु Kulshrestha

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