अब तो बेचैन हर कोई
अब तो बेचैन हर कोई
आदमी ही आदमी से जलने लगा?
इंसानियत की भी फिक़र ना रही,
अपनेपन का अश्क तो आँखो में ना रहा?
@ किशन कारीगर
अब तो बेचैन हर कोई
आदमी ही आदमी से जलने लगा?
इंसानियत की भी फिक़र ना रही,
अपनेपन का अश्क तो आँखो में ना रहा?
@ किशन कारीगर