अब तो आ जाओ सनम
अब तो आ जाओ सनम
दिन ढल चूका है,शाम हो गई है,
चिराग जल चुके है,रात हो गई है,
मिटाने जा रहे है,वे अपने गम,
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ सनम।
तेल जल चूका है,बाति कम हो गई है,
चिराग की लो भी अब कम हो गई है,
बुझ रहा है वह,निकल रहा उसका दम,
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ सजन।
चाँद जा चूका है,चाँदनी अब सो गई है,
तारे छिप चुके है,रौशनी कम हो गई है,
अब तो गगन में छा गया है तम,
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ बलम।
सूर्य उदय हो चूका है,किरण आ गई है,
पक्षी जाग चुके है,लालिमा आ गई है,
यह सब देख कर मेरा निकल रहा है दम,
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ मेरे हम दम
पनिहारिन आ चुकी है
गगरिया भर कर आ गई है,
कालिया खिल चुकी है,
तितलिया भी अब आ गई है,
यह सब देख कर टूट रहा है मेरा भरम,
न जाने कहाँ हो तुम ?
अब तो आ जाओ मेरे सनम।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम