अब तुम आ जाओ……
हे प्रिय परमेश्वर दिव्य ज्योत जला दो तुम
मानवता है घोर निद्रा में इसको जरा जगा दो तुम,
प्रेम विच्छेद है यहां पर नफरत को मिटा दो तुम
पाप यहां बढ़ रहे है पुण्य का पाठ पढ़ा दो तुम।
नैन है क्रोधित हृदय को जरा कोमल कर दो तुम
त्राहिमाम मचा है अमृत की वर्षा थोड़ा करा दो तुम।
हे प्रिय परमेश्वर दिव्य ज्योत जला दो तुम
मानवता है घोर निद्रा में इसको जरा जगा दो तुम।
तरसती है आंखे उनमें दीदार करा दो तुम
अब आन बसों नैनन में इनकी प्यास बुझा दो तुम।
हे प्रिय परमेश्वर दिव्य ज्योत जला दो तुम
मानवता है घोर निद्रा में इसको जरा जगा दो तुम।।।
:– जिस प्रकार हम देख रहे है आज मानवता भ्रष्ट होती का रही है और पापाचार बढ़ता जा रहा है इससे यह निश्चित है अब विनाश की घड़ी नजदीक है ।। इसीलिए सभी उस असीम सागर परमात्मा के आवाह्न में लीन हो जाइए।।
(बिमल रजक)