अब तुम अकेली नहीं हो….
जब भी कोई वारदातें होती ,
या कोई परेशान तुझे करता ,
तुम बेझिझक जवाब दो उसे ,
क्योंकि तुम अकेली नहीं हो !
हाॅं, अब तुम अकेली नहीं हो!!
अब वो ज़माना बदल चुका….
जब तुम कहीं भी जाती थी….
और कोई हल्के में लेता तुझे !
छेड़खानी पर उतर जाता था….
तू खुद को अकेला समझती थी !
बेबस और लाचार भी होती थी!!
आज तो सब कुछ बदल चुका है !
पूरी आबोहवा ही बदल चुकी है !
विज्ञान का करिश्मा भी साथ तेरे….
हर पल मोबाइल भी होता हाथ तेरे….
बस, एक काॅल पर दुनिया साथ तेरे!!
हाॅं, अब तुम अकेली नहीं हो….
सभी लोगों की मानसिकता बदली है,
महिलाओं की स्वतंत्रता भी बढ़ी है ,
पक्ष में कितने नियम-कानून बने हैं ,
मनचलों के सारे होश ही उड़ चुके हैं!!
अच्छी तरह समझ आ रही उन्हें….
कि उनकी कुछ नहीं अब चलनेवाली !
जो कुछ भी ग़लत किया अब उसने….
तो है मासूमों को ये दुनिया देखनेवाली!!
हाॅं , अब तुम अकेली नहीं हो….
महिलाएं अब बेझिझक बाहर निकलती ,
छोटी सी बच्चियाॅं दूर-दूर जाकर पढ़ती ,
लोगों की दक़ियानूसी सोच अब बदली !
भारतीयों की साक्षरता दर काफ़ी उछली!!
सबके सोचने का अब अंदाज बदला है ,
अपराधियों का अब मिज़ाज बदला है ,
अपराध का ग्राफ बहुत ही घट चुका है !
बालिकाओं का हौसला भी बढ़ चुका है!!
मैं सबके विचारों से ही इत्तफाक रखता हूॅं !
हिन्दुस्तान की बेटियों से खुल के कहता हूॅं !
कि अब तुम जियो, निर्भीक होकर जिओ….
अब,बिल्कुल ही शुद्ध वातावरण में सांस लो….
क्योंकि… अब तुम बिल्कुल अकेली नहीं हो….
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 24 अक्टूबर, 2021.
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