अब तुमसे—-चलै,न छोड़ो राम भरोसे!
अब तुमसे चलै न सरकार , छोड़ो राम भरोसे-२——छोड़ो राम भरोसे। पैसे कमाने के लिए बन जाते हैं नेता। सेवा की आड़ में करते हैं , देता -लेता।—++——–करते है दुर्व्यवहार।अब तुमसे चलै न सरकार। छोड़ो राम भरोसे, छोड़ो राम भरोसे।————++——–+——-++-देखो कर्मचारी तुम्हारे। बिना लेन ,देन किये, जनता खड़ी द्वारे।——न्याय की अब किससे करें गुहार।अब तुमसे चलै न सरकार। छोड़ो राम भरोसे। जनता कुछ न समझती है।घुट घुट कर मरती रहती है।–अवाज उठाने से अब हुई है लाचार।अब तुमसे चलै न सरकार। छोड़ो राम भरोसे।एक टका का काम न करते।लाख रुपए वेतन लेते।करो शिकायत तो लगाते हैं फटकार।अब तुमसे चलै न सरकार। छोड़ो राम भरोसे।अब कोई किसी न सुनता है। अपनी अपनी गुनता है। जहां पर खर्च हुई चबन्नी,लाख रुपए बिल भरता है।सबके अपने अपने हिस्सेदार।अब तुमसे चलै न सरकार छोड़ो राम भरोसे।चोरी करने के बनें है, अपने , अपने ठिकाने। चोर चोर बने हैं मौसयाते भैया,सब मिल बांट कर खाने।।चरम सीमा तक बढ़ गया दुराचार।अब तुमसे चलै न सरकार। छोड़ो राम भरोसे। अपनी अपनी ढपली,अपना अपना राग। कोई खोदता कुआं, कोई लगावै आग।———-जनता अकेली क्या करें, किससे करें पुकार।अब तुमसे चलै न सरकार , छोड़ो राम भरोसे।