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22 Feb 2019 · 2 min read

अब तिरंगा लहरायेगा

अमर शहीद की जुबानी
स्वयं उसकी सच्ची कहानी

देखिए, देश मेरा एक दिन मेरी जान लेकर ही जायेगा
लेकिन शर्त ये है कि अब तिरंगा हर जगह पर लहरायेगा

जिंदा रहने के तो जश्न मिलेंगे हजार
जान देकर ही हम यहाँ मनाते हैं त्योहार
आपकी हिफाजत में हमारा लुट गया संसार
बात अच्छी लगे तो हमें देना बस प्यार
जब जहाँ भी गिरेगा हमारा लहू इंकलाब की आवाज लगायेगा
लेकिन…………………………………………………

आपकी नींद का रहता हमेशा हमको इंतजार
हमारी लाशों से सदा होकर गुजरती है बहार
इस गुलशन को अमन से हम ही करें गुलजार
मेरी माँ ना हो किसी भी हाल में कभी लाचार
वतन की खातिर अपना कतरा-कतरा भी ये दिल लुटायेगा
लेकिन…………………………………………………….

ख्वाब मिलते नहीं आंखों में हमारे यार
याद आते हैं जिन्दगी के हसीन पल चार
भूल जाते हैं कि कोई हम पर करता है जां निशार
आप लोगों की चाहत में हुए जाते हैं खार
आज तिरंगा बन कफन मुझे अपने नीचे चैन से जो सुलायेगा
लेकिन…………………………………………………..

पुलवामा में घात लगाये बैठे थे देश के गद्दार
बुजदिल है वो जो पीठ पीछे से करता है वार
जंग में कोई नहीं कर सकता हम शेरों का शिकार
घर में बैठे जयचंदों से गई भारत माँ, हाँ हार
धारा70खत्म करो,केशर की घाटी में अमन-चैन छा जायेगा
लेकिन……………………………………………………….

भारत के सपूतों का ऋण रहेगा हरदम उधार
सरहद पर जवानों ने दिए हैं अपने शीश उतार
इनके तेज के आगे धीमा है सूरज का अंगार
युद्ध करो या कश्मीर को दे दो यूंं ही तुम उपहार
जब हमारे बलिदानों का परचम जीत की आंधी बन कर आयेगा
लेकिन……………………………………………………..

पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.

Language: Hindi
2 Likes · 335 Views
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