याद है रूठना मेरा वो मनाना तेरा
याद है रूठना मेरा वो मनाना तेरा
नाज नखरे मेरे हर बार उठाना तेरा
धड़कनें बढ़ती चली जाती थीं बेचैनी में
दिल में गुल खूब खिला जाता था आना तेरा
रोक मैं लेती थी कोई भी बहाना करके
दिल को भाता था न यूँ छोड़ के जाना तेरा
तेरे गुस्से पे भी आता था बड़ा प्यार मुझे
लगता मासूम था वो चेहरा बनाना तेरा
देर से आने की आदत थी पुरानी तेरी
पर नया होता था हर बार बहाना तेरा
तुझसे मिलने की बड़ी आस दबी है दिल में
पर रुलाता है बहुत ख्वाब में आना तेरा
बात तू कहना नहीं ‘अर्चना’ अपने दिल की
ये ज़माना ही बना देगा फ़साना तेरा
12-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद