अब तक मेरी निगाहों में आया नही कोई
अब तक मेरी निगाहों में आया नही कोई
आका हैं जैसे आज भी वैसा नही कोई
मिसले नबी तो दुनिया में कोई न है न होगा
यह शाने लताफत है के साया नही कोई
ईमान मेरा है यही मेरा अकीदा है
सरकार के जलवों सा जलवा नही कोई
यारब कभी हो मुझको ज़ियारत मदिनें की
शहरे मदीना जैसा है वैसा नही कोई
ऐ शाहे दो जहाँ मुझे चौखट पे बुलालो
तेरे सिवा “शोएब” का अपना नही कोई