अब तक भुलाया नहीं क्यों
हुई शाम दीपक जलाया नहीं क्यों
मुझे तुमने अब तक भुलाया नहीं क्यों
सभी आ गए तेरी महफिल में लेकिन
हमीं को अभी तक बुलाया नहीं क्यों
मचलते हैं अरमान ख्वाबों से मिलकर
गई रात इनको सुलाया नहीं क्यों
ये अरमान बच्चों सा जिद कर रहें है
पलक पालने में झुलाया नहीं क्यों