अब तक देखा नही
***** अब तक देखी नहीं *****
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आपसी परी अब तक देखी नहीं,
हुस्न से लदी अब तक देखी नहीं।
फूल सा खिला जोबन तेरा गजब,
साज सादगी अब तक देखी नहीं।
हो सुरों भरी हमसे अबतक छुपी,
राग-रागिनी अब तक देखी नहीं।
देखकर हसीं प्यारा हर सुर बजा,
वाद-वादिनी अब तक देखी नही।
होश खो दिया मनसीरत ने यहाँ,
नशे से भरी अब तक देखी नही।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)