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17 Feb 2021 · 1 min read

अब जाग मुसाफिर भोर भईल

अब जाग मुसाफिर भोर भईल,
बिहवल जिनगी चहू ओर भईल।
सूरज पूरब की ओर भईल,
बिहवल जिनगी चहू ओर भईल।।
कुके कोयल कुंजन काली,
सपुष्प सुहाती है डाली ।
टेरे मुर्गा अब ऊंची तान,
जाग मोर भईया भईल बिहान।
देख गउवा में शोर भईल,
बिहवल जिनगी चहू ओर भईल।।
रथ चला सुसज्जित भास्कर की,
मधुकर नाचे उरु पुष्कर की।
लेके हरवा सब खेत गईल ,
केहु राहै बा केहू जोति भईल।
तोहरे ना कौनो जोर भईल,
बिहवल जिनगी चहू ओर भईल।।
चलती है सुहानी मस्त हवा,
जो कोटि ब्याधि की एक दवा ।
केहू दउड़त बा टोकरी लेके ,
केहू बइठल बा बकरी लेके।
सुतले से किस्मत थोर भईल,
बिहवल जिनगी चहू ओर भईल।।
सब दौड़ रहा आगे पथ पर ,
तू लेटा है अभी बिस्तर पर ।
सब हंसीहे त रिसिअइब तु,
दुनिया पर दोष लगईब तू।
अब नाहक जीनगी तोर भईल,
बिहवल जिनगी चहू ओर भईल।।
सब लूट रहा है अपना अपना,
तू देख रहा निरा सपना।
शम्भू जनि देर लगाव अब ,
जल्दी से कदम बढ़ाव अब ।
दुनिया में अब त होड़ भईल,
बिहवल जिनगी चहू ओर भईल।।
शम्भू प्रजापति “सहयोगी”
कनिष्ठ सहायक,
होमगार्डस कुशीनगर।

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 4 Comments · 264 Views
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