अब ज़िन्दगी ना हंसती है।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
तमन्नाओं के बाजार में हर ख्वाहिश मिलती है।
पैसा लेकर जाओ वहां ज़िन्दगी भी बिकती है।।1।।
इज़्जत,आबरू हर दुकान पर सजी दिखती है।
हर पसंद की मिलेगी गर कीमत सही लगती है।।2।।
इंसा पैसा के खातिर कितना नीचे गिर गया है।
यूं लालच में तड़पती रूह उसको ना दिखती है।।3।।
हुस्न के कारोबार में बचपन को भी बेच देते है।
इन बाजारों में कली बिना खिले फूल बनती है।।4।।
दुनियां में हर नफ्स अब कहां साफ़ मिलता है।
गर ना हो सफाई तो फिर सबपे धूल जमती है।।5।।
खुदा देख तेरी बनाई ये दुनियां कैसी हो गईं है।
ख्वाहिशों के पीछे ये जिंदगी अबना हंसती है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ