अब चिंतन करना होगा
बहुत कर लिया अंधाप्रेम अब चिंतन करना होगा
सत्यता की कसौटी पर हर कथन परखना होगा
मीठी से वाणी से मंत्रमुग्ध करके
विफलताओं का दोष शत्रु पे धर के
कहीं हमें भ्रमित कर के फिर से न ठग ले
आँख कान नाक के साथ मस्तिष्क खुला रखना होगा
शब्दों का वह उच्च खिलाड़ी
समझ लेता है सब की नाड़ी
झूठे अश्रु बहाकर भावनाओं में बहा ना दे
उसकी हर एक चाल समझकर निर्णय करना होगा
भूल गया है अपना हर वादा
सदा पहले अपना हित ही साधा
भूत भविष्य के फेर में ‘अर्श’ वह कहीं फिर उलझा न दे
वर्तमान के प्रश्नों का उससे स्पष्ट उत्तर अब लेना होगा