अब गांडीव उठाऊंगा
नहीं चाहता अहित हो ,
काल-कवलित हो
नीतियों के कारण
भार सह ना पाउँगा
मृत्यु पर्यन्त !!
दुर्भाग्य अहो !!
तरकश निकालने पड़ेंगे
स्वहित में मुझको
अपने मारने पड़ेंगे
कौटिल्य कथन कौंधता
मन में,
कपटी से करें कपट ,
जीते वो कानन में
स्वरक्षा ना कर पाओ
प्रजा धिक्कारेगी
संतानें भविष्य में,
कायर पुकारेगी
कैसा कठोर दंड है
नियति शत्रु की प्रचंड है।
मेरा जिनसे किनारा
वे ही उसका सहारा
मौन से शत्रु,
प्रबल हो जायेगा
कुचला फन,
पुनः उठाएगा
बुद्ध-नीति से
मार्ग ना पाउँगा
शत्रु से कह दो,
अब गांडीव उठाऊंगा ।
#साहिल?k.
7-7-17
9929906763