अब कोई मफा़दात से हट कर नहीं मिलता
अब कोई मफा़दात से हट कर नहीं मिलता
इख़लास किसी शख़्स के अन्दर नहीं मिलता
इक बूंद ने वह आग लगाई है जिगर में
जो प्यास बुझा दे वह समन्दर नहीं मिलता
हसरत है तो गहराई में जाना ही पड़ेगा
साहि़ल पे किसी को कभी गौहर नहीं मिलता
अन्दाज़ ही सच बोलने वालों का अलग है
झूटों में बलाग़त का यह जौहर नहीं मिलता
काग़ज़ पे क़लम जिसका दिखाता है करिश्मा
मैदान-ए अ़मल में वह सुख़नवर नहीं मिलता
बरसों से भटकता हूं मैं इक शख़्स की ख़ातिर
कामिल” कुई इंसाफ़ का पैकर नहीं मिलता
कामिल बदायूंनी
8743920919