अब के होली कुछ ऐसा हो
अब के होली कुछ ऐसा हो
जहाँ रंग बिरंगी फूल खिले
उस बगिया के जैसा हो.
मिट जाये हर भेदभाव
मन में उदय हो प्रेम भाव
भूल के सारे बैर ईर्ष्या
प्रेम से आओ मिले गले.
अब के होली कुछ ऐसा हो…
साफ हो जाए हरेक मन की मैल
ऐसा पावन हो ये रंगों का खेल
होलिका की पवित्र अग्नि में
खाक हो जाये हर कष्ट बाधा,
सुख शांति से परिपूर्ण हो जीवन
कोई ख्वाहिश न रहे आधा.
अब के होली कुछ ऐसा हो…दीपाली कालरा